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कल्पना चावला का जन्म सन १९६१ मे हरियाणा के करनाल शहर मे एक मध्य वेर्ग्याई परिवार मे हुआ था | उसकी पिता का नाम श्री बनारसी लाल चावला तथा और माता का नाम संज्योती था | वह अपने परिवार के चार भाई बहनों मे सबसे छोटी थी | घर मे सब उसे प्यार से मोटो कहते थे | कल्पना की प्रारंभिक पढाई लिखाई टैगोर काल निकेतन मे हुई | कल्पना जब आठवी कक्षा मे पहुची तो उसने इंजिनियर बनने की इच्छा प्रकट की | उसकी माँ ने अपनी बेटी की भावनाओ को समझा और आगे बढने मे मदद की |

कल्पना का सर्वाधिक महत्व पूर्ण गुण था - उसकी लगन और जुझारू प्रवर्ती | प्रफुल्ल स्वभाव तथा बढ़ते अनुभव के साथ कल्पना न तो काम करने मे आलसी थी और न असफलता मे घबराने वाली थी | धीरे-धीरे निश्चयपूर्वक युवती कल्पना ने स्त्री - पुरुष के भेद-भाव से उपपर उठ कर काम किया तथा कक्षा मे अकेली छात्रा होने पर भी उसने अपनी अलग छाप छोड़ी | अपनी उच्च शिक्षा के लिये कल्पना ने अमेरिका जाने का मन बना लिया | उसने सदा अपनी महत्वाकाक्षा को मन मे सजाए रखा |

उसने ७ नवम्बर २००२ को टेक्सास विश्वविद्यालय मे एक समाचार पत्र को बतया "मुझे कक्षा मे जाना और उड़ान छेत्र के विषय मे सीखने मे व प्रश्नों के उत्तर पाने मे बहुत आनंद आता था "| अमेरिका पहुचने पर उसकी मुलाकत एक लम्बे कद के एक अमेरिकी व्यक्ति जीन पियरे हैरिसन से हुई | कल्पना ने हैरिसन के निवास के निकट ही एक अपार्टमेन्ट में अपना निवास बनाया इससे से विदेशी परिवेश में ढलने में कल्पना को कोई कठिनाई नहीं हुई | कक्षा में इरानी सहपाठी इराज कलखोरण उसका मित्र बना |

इरानी मित्र ने कक्षा के परवेश तथा उससे उत्पन समस्या को भाप लिया उसे वहा के तोर्तारिके समझाने लगा | कल्पना शर्मीले स्वभाव की होते हुआ भी एक अच्छी श्रोता थी | जीन पीयरे से कल्पना की भेट धीरे -धीरे मित्रता में बदल गई | विश्वविद्यालय परिसर में ही 'फ्लाईंग क्लब 'होने से कल्पना वहा प्राय जाने लगी थी |फ्लाईंग का छात्र होने के साथ-साथ जीन पियरे अच्छा गोताखोर भी था |

एक साल बाद १९८३ में एक सामान्य समारोह में दोनों विवाह - सूत्र में बन्ध गए | मास्टर की डिग्री प्राप्त करने तक कल्पना ने कोलोरेडो जाने का मन बना लिया | मैकेनिकल इंजीनियरिंग में doctoraitकरने के लिए उसने कोलोरेडो के नगर बोल्डर के विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया | सन १९८३ में कल्पना कलिफोर्निया की सिल्कॉंन ओनर सेट मैथड्स इन्फ्रो में उपाध्यक्ष एवं शोध विज्ञानिक के रूप में जुड़ गयी |जिसका दायित्व अर्रो डायनामिक्स के कारण अधिकाधिक प्रयोग की तकनीक तैयार करना और उसे लागू करना था | अंतरिक्ष में गुरुत्वकर्ष्ण में कमी के कारण मानव शरीर के सभी अंग स्वता क्रियाशील होने लगते है | कल्पना को उन क्रियाओ का अनुसरण कर उनका अध्यन करना था | इसमे भी कल्पना व् जीन पियरे की टोली सबसे अच्छी रही जिसने सबको आश्चर्य में ड़ाल दिया | नासा के अंतरिक्ष अभियान कार्यक्रम में भाग लेने की इच्छा रखने वालो की कमी नहीं थी | नासा अंतरिक्ष यात्रा के लिय जाने का गौरव विरले ही लोगो के भाग्य में होता है और कल्पना ने इसे प्राप्त किया |

६ मार्च १९९५ को कल्पना ने एक वर्षीय प्रशिक्षण प्रारंभ किया था वेह दस चालको के दल मे सम्मलित होने वाले नौ अभियान विशेषज्ञ मे से एक थी | नवम्बर १९९६ मे अंतत: वह सब कुछ समझ गई | जब उसे अभियान विशेषज्ञ तथा रोबोट संचालन का कार्य सौपा गया | तब टेक कल्पना ना मे सम्नायता के .सी के नाम से विख्यात हो गई थी | वह नासा दवारा चुने गये अन्तरिक्ष यात्रियों के पंद्रहवे दल के सदस्य के रूप मे प्रशिक्षण मे सम्लिलित हो गई | पहली बार अंतरिक्ष यात्रा का स्वपन १९ नवम्बर १९९७ को भारतीय समय के अनुसार लगभग २ बजे एस.टी.एस-८७ अंतरिक्ष यान के द्वारा पूरा हुआ | कल्पना के लिए येहे अनुभव स्वं में विनम्रता व जागरूकता लिए हुआ था कि किस प्रकार पृथ्वी के सौन्दर्य एवम उसमें उपलब्ध धरोहरों को संजोये रखा जा सकता है|

नासा ने पुनः कल्पना को अंतरिक्ष यात्रा के लिए चुना | जनवरी १९९८ में उसे शटल यान के चालक दल का प्रतिनिधि धोषित किया गया और शटल संशन फलाइट क्रू के साजसामान का उत्तरदायित्व दिया गया |बाद में वह चालक दल प्रणाली तथा अवासीयें विभाग कि प्रमुख नियुक्त की गयी | सन २००० में उसे एस.टी.एस -१०७ के चालक दल में सम्मलित किया गया

अंतरिक्ष यान का नाम कोलंबिया रखा गया जिसकी तिथि १६ जनवरी २००३ निश्चित की गई | एस .टी .एस - १०७ अभियान वैज्ञानिक खोज पर केन्द्रित था | प्रतिदिन सोलह घंटे से अधिक कार्य करने पर अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी सम्बन्धी वैज्ञानिक अंतरिक्ष विज्ञान तथा जीव विज्ञान पर प्रयोग करते रहे |

सभी तरह के अनुसंधान तथा विचार - विमर्श के उपरांत वापसी के समय पृथ्वी के वायुमंडल मे अंतरिक्ष यान के प्रवेश के समय जिस तरह की भयंकर घटना घटी वह अब इतिहास की बात हो गई | नासा तथा सम्पूर्ण विश्व के लिये यह एक दर्दनाक घटना थी | कोलंबिया अंतरिक्ष यान पृथ्वी की कक्षा मे प्रवेश करते ही टूटकर बिखर गया कल्पना सहित उसके छै साथियों की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु से चारो ओर सन्नाटा छ: गया |

इन सात अंतरिक्ष यात्रियों की आत्मा , जो फ़रवरी २००३ की मनहूस सुबह को शून्य मे विलीन हुई,सदैव संसार मे विदयमान रहेगी | करनाल से अंतरिक्ष तक की कल्पना की यात्रा सदा हमारे साथ रहेगी |

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11y ago
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9y ago

Kalpana Chawla was born in India on March 17, 1962. She became the first Indian woman to go on a space flight. Chawla and her fellow crew members were killed aboard the Space Shuttle Columbia after spending 31 days in space.

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11y ago
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